आरती भानु दुलारी की कि श्री बरसाने वाली की
विराजे सिन्हासन श्यामा,
दिव्य श्री विर्न्दावन धामा
ढुलावे चवर सुघड वामा
पलोटे पग पुर्ण कामा
लली पग अंग ,चापनी संग
श्याम जन रंग
पाई निधि पारस प्यारी की..
गौर सिर कनक मुकुट राजे
चन्द्रिका चारो छवि साजे
कुटिल कुन्तिल अलि भल भाजे
लखत जेही सिखित लाप लाजे
माग सिन्दुर्, मोतियन पूर्,
सन्जिवन मुल
बर्ह्म गोवर्धन धारी की… …
श्रवण विच कर्ण पूल झलके
नासिका विच बेसर हल के
नयन विच प्रेम सुधा झलके
बंधु बल के लखि लखि ललके
झपल नख चमक
दसन दूती दमक,
सुमुखी मुति रमक
मधुर मुस्कन सुकुमारी की… ..
मोतियन लर और मणि माला
चिमुक झलकत एक तिल काला
शम्भु शुक दे संग तर ताला
ललि गुण गावे ब्रज बाला
कबहु मुख मुरनी,
कबहु द्रग दुरनी
कबहु द्रग जुरनी
कबहु सुधि भुरनि
मधुर मुस्कन सुकुमारी की
Solefull aarti