बगलामुखी कोन हैं
बगुला मुखी स्तम्भन की देवी मा पार्वती के शक्ति स्वरूप में मा प्रकट हुई सौराष्ट्र में आये एक महातूफ़ान को शान्त करने के लिये स्वयं भगवान नारायण ने माँ बगलामुखी की घौर तपस्या की थी। भगवान् नारायण के द्वारा की गयी तपस्या के फलस्वरुप ही माँ बगलामुखी का प्राकट्य हुआ और प्रलय के उस कारक दैत्य का देवी ने संघार किया. विशेष रूप से शत्रु और शत्रु दल, बल विरोधियों को परास्त करने तथा मुकदमे में जीत या सरकारी नौकरी, राज्य पद आदि प्राप्त करने के लिए माँ बगलामुखी की उपासना प्रसिद्ध हैं.’
माता बगलमुखी की अराधना करने से सभी तरह की बाधा और संकट दूर हो जाता है. इसके साथ ही शुत्रओं पर भी विजय मिलती है. माता बगलामुखी की उपासना शत्रुनाश, वाक-सिद्धि, वाद-विवाद में विजय के लिए की जाती है. यही कारण है कि माता बगलामुखी को सत्ता की देवी भी कहा जाता है. शत्रुनाशिनी देवी मां बगलामुखी देवी की साधना-उपासना से सभी तरह की परेशानियां दूर होती हैं. मां की उपासना करने से मुकदमों में फंसे लोग, जमीनी विवाद, शत्रुनाश आदि संपूर्ण मनोरथों की प्राप्ति होती है. वहीं जीवन से हर प्रकार की बाधा से भी मुक्ति मिल जाती है.
जो लोग शत्रुओं से अत्यधिक परेशान हैं तब प्रथम नवरात्रें से अष्टमी तक माँ बगलामुखी का नियमित पूजन करें।
बगलामुखी पूजन बगलामुखी पीठ यानी आप हमारे यहाँ भी पूजन, पाठ, जप, व यज्ञ करवा सकते हैं। माँ बगलामुखी को पीताम्बरा और ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है। माँ बगलामुखी पीताम्बरा पीत अर्थात पीले वर्ण हैं। इनकी पूजा में पीले रंग का ही विशेष महत्व होता है। माँ बगलामुखी को विशेष कर स्तम्भन शक्ति की देवी माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है की सौराष्ट्र में आये एक महातूफ़ान को शान्त करने के लिये स्वयं भगवान नारायण ने माँ बगलामुखी की घौर तपस्या की थी। भगवान् नारायण के द्वारा की गयी तपस्या के फलस्वरुप ही माँ बगलामुखी का प्राकट्य हुआ और प्रलय के उस कारक दैत्य का देवी ने संघर किया. विशेष रूप से शत्रु और शत्रु दल, बल विरोधियों को परास्त करने तथा मुकदमे में जीत या सरकारी नौकरी, राज्य पद आदि प्राप्त करने के लिए माँ बगलामुखी की उपासना प्रसिद्ध हैं.’
शत्रु शमन् हेतु माँ बगलामुखी की पूजा,
- बगलामुखी खड्ग, बगलामुखी ब्राह्मस्त्र पाठ, बगलामुखी अष्टोत्री पाठ, तथा राज्य पद व राजनीति से सम्बन्धित पद प्रतिष्ठा चुनाव आदि हेतु भी प्रयोग का चलन है।
- जो लोग कोर्ट-कचहरी, मुक़दमा आदि से परेशान हैं, या कारावास से मुक्ति चाहते हैं तो वे भी पूजन व संकल्प लेकर सवा लाख जप, जप का दशांश हवन, हवन का दशांश तर्पण व तर्पण का दशांश मार्जन, व मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोज जैसे कड़ी-चावल व पेठा का प्रासाद का आयोजन कार सकते हैं।
- माँ बगलामुखी की पूजा व पाठ प्रयोग आदि में हमेशा पीले आसन, पीले वस्त्र, पीले फल और पीले नैवैद्य का ही प्रयोग करना चाहिए
- माँ बगलामुखी के मन्त्र का जाप करने के लिये हमेशा हल्दी की माला का प्रयोग ही करना चाहिए.
- माँ बगलामुखी की पूजा हमेशा प्रांत व सँध्याकाल या मध्यरात्रि में करनी चाहिए.
- अगर आप अपने शत्रु और विरोधियों को शांत करना चाहते हैं तो माँ बगलामुखी के जन्मोत्सव और गुप्त नवरात्री में इनकी पूजा ज़रूरी हो जाता है।
- शत्रुओं का नाश करने के लिए इन तरीको से करें माँ बगलामुखी की पूजा
- शत्रुओं का नाश करने के लिए एक लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं
- अब चौकी पर माँ बगलामुखी के चित्र या प्रतिमा को स्थापित करें.
- माँ पिताम्बरा को पीला ही नैवेद्य चढ़ाएं.
- बगलामुखी से पहले भैरव, व गणपति मृत्युंजय की अराधाना करें. (बगलामुखी परिसर के देवताओं की साधनाओं का भी विधान है। इस तरह पूर्णतः बगलामुखी दिक्षा, पूजन, आवरण पूजन, पुरश्चरण, फिर प्रयोग आदि यह गुरू दुबारा ही प्राप्त कर समझना चाहिए और फिर करना चाहिए अन्यथा चौर विंध्या, या प्रंत्यगरा तंत्र के द्वारा नुक़सान पहुँचाया जा सकता है। )
- बगला कवच का पाठ करें.
- कवच का पाठ करने के पश्चात् ही संकल्प लेकर भगवती का ध्यान करें। फिर न्यास करें और पश्चात आवरण पूजन (यन्त्र पूजन/ देवी पूजन व पश्चात मन्त्र का जाप करें
बगलामुखी पूजा विधि
बगलामुखी जाप के दिन प्रात:काल स्नान करें और साफ-सुथरा कपड़ा पहन लें. संभव हो तो इस दिन पीले रंग का वस्त्र धारण करें. अब मां बगलामुखी की पूजा प्रारंभ करें. पूजा करते समय मुंह पूर्व दिशा की तरफ रखें. मां बगलामुखी की पूजा के लिए चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और मां को पीले रंग का फूल, फल और मिठाई का भोग लगाएं. माता बगला मुखी की साधना रात्रि के समय की जाती है इसका समय नौ बजे से रात्रि अर्द्ध प्रहर तक का होता है इसके जप संख्या सवा लाख होती है माता बगलामुखी की चालीसा पढ़ें और फिर आरती करें. शाम के समय मां बगलामुखी की कथा का पाठ करें. मां बगलामुखी जयंती पर व्रत करने वाले भक्त शाम के समय फल खा सकते
मंत्र –
“ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय, जिह्ववां कीलय, बुद्धि विनाशय, ह्रीं ॐ स्वाहा”
- इस मन्त्र का जाप 8 दिनों में सबा लाख करें या करायें।
- अनुष्ठान पूरा करने के पश्चात् दशांश हवन आवश्यक है।
दुख-दरिद्रता, शत्रु, रोग व क़र्ज़ को दूर करने के लिये बगलामुखी पूजन, पश्चात बगला खड्ग करें। देवी पर तेल अभिषेक विधान है जो हमारे यहाँ ही विशेष कराया जाता है।
- दरिद्रता दूर करने के लिए नियमित रूप से सुबह माँ बगलामुखी की आराधना करें.
- हल्दी की माला से दरिद्रता नाश के लिए यह मंत्र भी जाप किया जा सकता है।
मंत्र –
“श्रीं ह्रीं ऐं भगवती बगले मे श्रियं देहि देहि स्वाहा”
- माँ बगलामुखी की पूजा में विशेष सात्विकता ध्यान रखें.
- गुप्त नवरात्री में आठवे दिन माँ बगलामुखी को हल्दी की दो गाँठ अर्पित करें या हल्दी का उबटन करायें।
- अब माँ बगलामुखी के सामने अपने दोनों हाथ जोड़ कर भगवती से अपनी प्राथना करेंअपने शत्रु और विरोधियों के शांत हो जाने की प्रार्थना करें.
- अब माँ बगलामुखी पीताम्बरा को अर्पित की गयी हल्दी की दो गांठो में से एक गाँठ अपने पास या तिजोरी में रख लें.
- बची हुई दूसरी गाँठ को बहती हुई नदी में सभी सामाग्री के सहित जल में प्रवाहित कर दें (जैसे राख, हवनकुंड की पुष्प माला सभी सामाग्री जो बैकार हो जाती हैं)
- इस प्रकार से माँ बगलामुखी की पूजा करने से या कराने पर गुप्त नवरात्रि में आप हर तरह की शत्रु बाधा से मुक्त हो जाते है।
बगलामुखी चालीसा
॥ दोहा ॥
सिर नवाइ बगलामुखी,
लिखूं चालीसा आज ॥
कृपा करहु मोपर सदा,
पूरन हो मम काज ॥
जय जय श्री बगलामुखी माता ……………
त्रिविध ताप मिटि जात सकल सब,
भक्ति सदा तव है सुखकारी |
जय जय श्री बगलामुखी माता …………….
पालन हरत सृजत तुम जग को,
सब जीवन की हो रखवारी ||
जय जय श्री बगलामुखी माता ………..
मोह निशा में भ्रमत सकल जन,
करहु ह्रदय महँ, तुम उजियारी ||
जय जय श्री बगलामुखी माता ………..
तिमिर नशावहू ज्ञान बढ़ावहु,
अम्बे तुमही हो असुरारी |
जय जय श्री बगलामुखी माता ………..
सन्तन को सुख देत सदा ही,
सब जन की तुम प्राण प्यारी ||
जय जय श्री बगलामुखी माता ……….
तव चरणन जो ध्यान लगावै,
ताको हो सब भव – भयहारी |
जय जय श्री बगलामुखी माता ………..
प्रेम सहित जो करहिं आरती,
ते नर मोक्षधाम अधिकारी ||
जय जय श्री बगलामुखी माता ………….
|| दोहा ||
बगलामुखी की आरती, पढ़ै सुनै जो कोय |
विनती कुलपति मिश्र की, सुख सम्पति सब होय