भूमि पूजन विधि – Bhoomi Pujan Vidhi

Bhoomi Puja

भूमि पूजा परिवार के मुखिया को करनी चाहिए। अगर परिवार का मुखिया विवाहित पुरुष है तो उसे अपनी पत्नी के साथ पूजा में बैठना चाहिए। जोड़े सहित पूजा में बैठे कुशल, ब्राह्मण को बुलाये जो भूमि पूजन विधि को जानता हो। केवल एक अनुभवी पुजारी ही आपको पूजा को सही तरीके से पूरा करने का मार्गदर्शन दे सकता है। पूजा का शुभ मुहूर्त जानने के लिए , ‘हिंदू पंचांग’ देखें

कब करे भूमि निर्माण

आषाढ़ शुक्ल से कार्तिक शुक्ल के बीच निर्माण शुरू करना अशुभ माना जाता है।

वास्तु शास्त्र में बैशाख, श्रावण, मार्गशीर्ष, माघ, फाल्गुन, भाद्रपद और कार्तिक के महीनों को भूमि पूजन विधि के लिए शुभ माना गया है।

भूमि पूजन की विधि – Bhoomi Pujan Vidhi

  1. भूमि पूजन करने से पहले सुबह उठकर जिस भूमि की पूजा करनी है उस भूमि को अच्छी तरह से साफ और शुद्ध कर लें
  2. भूमि पूजन करने के लिए किसी ब्राह्मण को बुलवाना चाहिए
  3. पूजा करते समय ब्राह्मण को उत्तर की तरफ मुंह करके बैठना चाहिए
  4. पूजा करवाने वाले व्यक्ति को पूर्व की तरफ मुंह करके बैठना चाहिए
  5. अगर व्यक्ति शादीशुदा हैं तो उसे अपनी पत्नी को अपनी बायीं तरफ बैठाना चाहिए
  6. मंत्रोच्चारण द्वारा शरीर, आसन और स्थान की शुद्धि की जाती है
  7. इसके बाद श्री गणेश जी की पूजा करके भूमि पूजन करने के लिए चांदी के नाग और कलश की पूजा की जाती है
  8. कलश में दूध, दही , घी डालकर मंत्रो द्वारा शेषनाग का आह्वान करना चाहिए
  9. कलश में सिक्का और सुपारी डालकर गणेशजी और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करनी चाहिए
  10. कलश को ब्रह्मांड का प्रतीक और विष्णु भगवान का रूप मानकर पूजा करें ताकि विष्णु भगवान मां लक्ष्मी के साथ उसकी भूमि पर सदैव विराजमान रहें
  11. शेषनाग से हमें प्रार्थना करनी चाहिए की जैसे आपने पृथ्वी को संभाला है उसी प्रकार उसकी भूमि को संभालकर अपनी कृपा बनाए रखें

नींव की खुदाई कैसे करे

भूमि देवी, धरती माता, इस अनुष्ठान की प्रमुख देवी हैं। वैदिक काल से ही देवी माँ जीवन का निर्वाह करती हैं तथा सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक हैं। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि का यह पवित्र तत्व भूमि पूजन विधि (Bhoomi Pujan Vidhi) के बाद कार्य में आने वाली हर बाधा को दूर करता है।

लोग अक्सर भूमि पूजन में एक ही गड्ढा ईशान कोण में खोदते है जो कि गलत है।
भूमि पूजन का कार्य पूर्ण हो जाने के बाद सबसे पहले नींव की खुदाई ईशान कोण से ही शुरू करें। ईशान के पश्चात आग्नेय कोण की, आग्नेय के बाद वायव्य कोण फिर नैऋत्य कोण की खुदाई करें। जब कोणों की खुदाई पूरी हो जाये फिर दिशा की खुदाई करें पूर्व, उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में क्रम से खुदाई करें ध्यान दे जिस प्रकार से यहाँ लिखा है आपको ठीक वैसे ही करना है।

भूमि पूजन सामग्रीBhoomi Pujan Samagri

  • फूल
  • सुपारी
  • पान के पत्ते
  • नारियल
  • चावल
  • दूर्वा घास
  • जनेउ
  • सिक्का
  • लौंग
  • इलायची
  • मिश्री
  • बतासे
  • रोली
  • कपूर
  • धूप
  • दीया (दीपक)
  • आरती के लिए रुई
  • घी
  • गंगाजल (गंगा नदी का पानी)
  • हल्दी
  • कलावा (लाल धागा)
  • पानी
  • पंचधातु
  • नवरत्न
  • चांदी के नाग नागिन जोड़ा
  • लोहे की चार कील,
  • हल्दी की पांच गांठें,
  • पान के 11 पत्ते,
  • ब्राह्मण वरन (कपड़े)

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