गुरुवार यानी बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु और देव गुरु बृहस्पति को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति देव की पूजा का विधान है.
व्रत विधि
गुरुवार का व्रत शुक्ल पक्ष के किसी भी गुरुवार से प्रारम्भ करे ब्रह्म मुहूर्त में जागने के बाद नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नानादि से निवर्त हो जाएं पीले वस्त्र धारण करें फिर मन्दिर में जा कर के अपने गुरुदेव बृहस्पति जी की पूजा करें पूजा में चने की दाल गुड़ आदि सामग्री ले धूप दीप नैवेद्य लेकर भगवान विष्णु के प्रत्यक्ष रूप कदली वृक्ष की पूजा करें और कथा सुने शाम के समय पीला भोजन बिना नमक मिर्च के किसी भी मीठे के साथ भोग लगा कर गऊ को खिलाने के बाद फिर स्वयं ग्रहण करे
इसी तरह से कम से कम 16 गुरुवार व्रत या इस से अधिक व्रत करने का संकल्प ले अपना संकल्प पूरा होने के बाद उद्यापन का विधान है
उद्यापन का विधान
भगवान विष्णु की पूजा आराधना के लिए गुरुवार का दिन समर्पित किया गया है. भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भक्त गुरुवार का व्रत करते हैं. व्रत करने के पहले व्यक्ति कोई न कोई मनोकामना करता है, जो पूरी हो जाने के बाद भगवान को धन्यवाद देते हुए उसका उद्यापन करता है.
इस व्रत का उद्यापन करने के लिए सुबह समय से उठकर तैयार हो जाएँ, और पूजा स्थल में गंगाजल का छिड़काव कर सफाई कर लें। पीले वस्त्र ही पहनें। पूजा स्थल को साफ करने के बाद या अलग से आसन लगाकर उस पर भगवान् विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें। मंदिर या अपने घर के आस पास स्थित केले के पेड़ की पूजा करें, जल चढ़ाकर दीपक जलाएं। फिर षोडशोपचार से कुशल ब्राह्मण के द्वारा पूजन विधि से विष्णु जी का अर्चना करें| घर आकर या वही बैठकर कथा करें। कन्या भोजन उसके बाद प्रसाद लोगों में बाटें। उसके बाद श्री हरी के मंत्रो का उच्चारण करें। यदि कोई गलती हुई तो उसके लिए माफ़ी मांगे। क्षमा प्रार्थना करे ब्राह्मण भजन कराये
सामग्री
कलश,नारियल, पीला कपड़ा सवा मि,लौंग,इलायची, सुपारी,रोली कलावा, मिश्री,बतासे ,5 तरह के फल ,पान पते ,पीली साड़ी,ब्राह्मण के लिए पीले वस्त्र,बेशन के लड्डू सवा की, चने की दाल सवा की, पीले फूल,माला, गुड़ ,हल्दी,सिन्दूर, कपूर,पंच मेवा, गाय का घी,हवन सामग्री, इन्द्र जौ,काले तिल,चन्दन चुरा,अगर,तगर,कमल गठ्ठा,जनेऊ,दूर्वा, प्रशाद के लिए पीली बूंदी,वुष्णु भगवान की मूर्ति, आम या अशोक के पते ,ब्रहस्पति वार कथा पुस्तक, आदि सामग्री