दिव्य दम्पति की आरती उतारु हे अली लिरिक्स

दिव्य दम्पति की आरती उतारु हे अली
राधे नन्द जु को लाल वष्रभानु की लली

पद नख मणि चन्द्रीका की उज्जवली प्रभाल
स्वेत प्रीत पटि कटि रहे मन को लुभाय
दिव्य दम्पति की आरती उतारु हे अली

कटि कौन्धनी की शोभा अति लागत भली
शिश चन्द्रिका मुकुट प्रभुवर हरि के
दिव्य दम्पति की आरती उतारु हे अली

अंग अंग दिव्य भुषण कनक मनि के
सोहे श्यामा कर कन्ज श्याम कर मोदली
दिव्य दम्पति की आरती उतारु हे अली

चितवन मुस्कन प्रेम रस बरसे
हिय हरस नारायण चरण परसे
देव जय जय कहे बरसे सुमन अंजलि

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