दुर्गा पूजा
एक धार्मिक त्योहार और यह भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। जिसके दौरान देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। दुर्गा पूजा हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन के महीने में आता है।
लोगों के लिए यह एक पारंपरिक अवसर है, जो लोगों को भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों से जोड़ता है। अधिकतर लोग इस पर्व को पूरे नौ दिन तक मनाते हैं। लोग “षष्ठी” के साथ दुर्गा देवी की मूर्ति की पूजा करना शुरू करते हैं, जो “दशमी” पर समाप्त होती है।
पूरे दस दिवसीय उत्सव के दौरान विभिन्न रीति-रिवाज, जैसे उपवास, दावत, पूजा आदि का पालन किया जाता है। लोग अंतिम चार दिनों में मूर्ति विसर्जन और कन्या पूजन भी करते हैं,कन्या पूजन को लोग काफी पवित्र मानते है। जिन्हें सप्तमी, अष्टमी, नवीन और दशमी के नाम से जाना जाता है। लोग मिल जुल कर पूरे उत्साह, आनंद और भक्ति के साथ मां दुर्गा की पूजा करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि एक असुर महिषासुर नाम का एक राजा रहता था। जो बहुत शक्तिशाली था, इतना शक्तिशाली था कि स्वर्ग के देवी देवता इस राक्षस को हराने मे असमर्थ दिख रहे थे। देखते-देखते असुर राजा बहुत आक्रामक हो गया था। तभी ब्रह्मा विष्णु और शिव एक साथ महिषासुर के विनाश के लिए एक आंतरिक शक्ति का निर्माण किया जो शक्ति का नाम देवी दुर्गा था। अपने दस हाथों में विभिन्न शस्त्र धारण करके आंतरिक शक्ति दी गई, फिर मां दुर्गा ने 9 दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और दसवीं दिन महिषासुर राक्षस का वध करके विजयी हुई थी। उसी दिन को विजयदशमी दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
रामायण के अनुसार भगवान राम ने रावण को मारने से पहले मां दुर्गा से शक्ति प्रदान करने के लिए मां चंडी की पूजा की थी। भगवान राम ने दुर्गा पूजा के दसवे दिन रावण का वध किया था। उस दिन को हम सब विजय दशमी के रुप मे मनाते हैं।
दुर्गा पूजा की विधि
दुर्गा पूजा पर्व को लोग निष्ठा से मनाते हैं 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व को हर दिन लोग मां दुर्गा की पूजा को खास नियम के साथ करती है
दुर्गा पूजा का यह त्यौहार आश्विन शुक्ल पक्ष से लेकर दशमी तिथि तक मनाते हैं इस दौरान मां दुर्गा की नौ दिनों तक उपवास रखकर पूजा करते हैं हालांकि लोग अपने अनुसार दिनो तक भी उपवास रखकर पूजा करते हैं। श्रद्धालु दसवीं के दिन देवी दुर्गा की मूर्ति को सुहागन की तरह सजाती है। नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के सामने कुमारी की भी पूजा करती लोग कुमारी पूजन को काफी पवित्र मानते हैं हालांकि भारत का एक राज्य बंगाल है जहां पर दुर्गा पूजा को विभिन्न रूपों में भी की जाती है। विजयदशमी के दिन लोग अपनी पसंद की वस्तुएं अर्पित करती है। उस दिन पूरी रात पूजा, अखंड पाठ और जाप करते हैं फिर देवी की मूर्तियों को सिंगारित करके काफी हर्षोल्लास के साथ झांकी निकालते हैं पूरी धूमधाम के साथ पूरे समाज के चक्कर लगाने के बाद अंत में प्रतिमा को स्वस्थ नदी अथवा तालाब में विसर्जित करते हैं।
दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है
दुर्गा पूजा इसलिए मनाई जाती है क्योंकि जब महिषासुर नामक राक्षस राजा ने स्वर्ग पर हमला किया, वह इतना शक्तिशाली था कि उसे हराना मुश्किल हो गया था स्वर्ग के देवी-देवताओं को बचाने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और शिव द्वारा एक आंतरिक शक्ति का निर्माण किया गया था। जो दस भुजाओं वाली देवी दुर्गा थीं। जिसे आंतरिक शक्ति दी गई थी ताकि वह शक्तिशाली राक्षस राजा महिषासुर का वध कर सके। दोनो के बीच 10 दिन तक युद्ध चला , दसवें दिन देवी दुर्गा ने शक्तिशाली राक्षस महिषासुर का वध कर दिया। रामायण के अनुसार, भगवान राम ने रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा से आशीर्वाद पाने के लिए चंडी पूजा की थी। दुर्गा पूजा के दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, इसलिए दुर्गा पूजा के दसवें दिन को दशहरा का दिन भी माना जाता है।इस त्योहार को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में भी मनाते हैं।
हम सभी दुर्गा पूजा का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं और पूरे नौ दिनों तक महादेवी दुर्गा की पूजा करते हैं। यह पवित्र त्योहार समुदाय के बीच एक साथ मनाया जाता है।