भगवान गणेश जी की पूजा आदि काल से की जाती है भगवान गणेश जी को 33 कोटि देवो में प्रथम पूजा का अधिकारी माना गया है सब देवो में उन्हें वरदान प्राप्त है जब तक गणेश जी की पूजा नही होगी तब तक कोई भी पूजा स्वीकार नही होगी भगवान गणेश जी को विघ्न हरण मंगल करन कहते हैं ऋद्धि सिद्धि के दाता कहते हैं
कैसे करे गणेश जी की पूजा
सर्व प्रथम हमे नित्य कर्म से निपटकर शरीर की शुद्धि करनी चाहिए शरीर की शुद्धि के बाद गणेश पीठ का निर्माण करना चाहिए गौरी गणेश को पीठ पर विराजमान करे फिर षोडशोपचार से गौरी गणेश का पूजन करे पूजा सामग्री में दूर्वा और भोग के लिए मोदक रखे
गणेश पूजा के लाभ
सारे दुखों और कष्टों का निवारण गणेश जी की पूजा से होता है इसलिए इन्हें विघ्न हरता सुखकर्ता विघ्नों का विनाश करने वाले दुष्टों का नाश करने वाले बुद्धि के प्रदाता कहा जाता है गणेश जी की पूजा से शिक्षा में सफलता मिलती है गणेश जी की पूजा दिवाली पर लक्ष्मी जी के साथ करने से सुख समृद्धि आती है गृह क्लेश ओं से मुक्ति प्राप्त होती है एवं अनंत कष्टों का निवारण होता है यदि घर में बहुत क्लेश रहता हो तो दूर्वा से गणपति जी की प्रतिमा बनाकर उनका पूजन करने से घर के सभी क्लेश समाप्त हो जाते हैं
स्तुति
सुमुखश्चैकदंतश्च कपिलो गजकर्णकः ।
लंबोदरश्च विकटो विघ्ननाशो गणाधिपः॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचंद्रो गजाननः ।
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि॥
विद्यारंभे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा ।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते ॥
शुक्लाम्बर धरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशांतये ॥
अभीप्सितार्थ सिद्ध्यर्थं पूजितो यः सुरासुरैः ।
सर्वविघ्न हरस्तस्मै गणाधिपतये नमः ॥