हनुमान जी भगवान शंकर ही ग्यारवे रुद्र के रूप में अवतरित हुए श्री राम चरित मानस में भगवान श्री राम और हनुमान जी की सुंदर कथा है इनके गुरु सूर्य भगवान है अजर अमर गुण निधि सुत होउ ऐसा वरदान माँ सीता ने दिया इनके अनेक नाम है हनुमैन जी भक्तो में अग्रणीय है श्री राम के सेवक और भक्तो के कल्याण कारी है कलयुग में इनको प्रत्यक्ष देव माना गया है ये आज भी जीवित है और भक्तो को दर्शन देते हैं
हनुमानजी के तेरह नाम
- हनुमान – जिनकी ठोड़ी टूटी हो
- रामेष्ट – श्री राम भगवान के भक्त
- उधिकर्मण – उद्धार करने वाले
- अंजनीसुत – अंजनी के पुत्र
- फाल्गुनसखा – फाल्गुन अर्थात् अर्जुन के सखा
- सीतासोकविनाशक – देवी सीता के शोक का विनाश करने वाले
- वायुपुत्र – हवा के पुत्र
- पिंगाक्ष – भूरी आँखों वाले
- लक्ष्मण प्राणदाता – लक्ष्मण के प्राण बचाने वाले
- महाबली – बहुत शक्तिशाली वानर
- अमित विक्रम – अत्यन्त वीरपुरुष
- दशग्रीव दर्प: – रावण के गर्व को दूर करने वाले
- वानरकुलथिन – वानर वंश (तमिल) के वंशज
पूजा के परिणाम
रुके हुए कार्य बनना ,ग्रह क्लेश से मुक्ति ,मन की शांति, कारोबार में वृद्धि , मुकदमे में विजय,
विधि
मंगलवार का व्रत करे सवेरे नित्य किर्या से निर्वत होकर हनुमान जी की प्रतिमा के सम्मूख बैठ जाये लाल वस्त्र धारण करे लाल आसन पर बैठे तिल के तेल का दीपक जलाये लाल पुष्प पूजा के लिए रखे भोग के लिए बूंदी के लड्डु रखे सुन्दर कांड का पाठ करे ,व हनुमान चालिसा का पाठ करे आरती भोग लगाएं एवं पुष्पांजलि करे क्षमा पार्थना करे विशेष कार्य के लिए सुन्दर कांड के 5 पाठ करे
हनुमानजी को पराक्रम, बल, सेवा और भक्ति के आदर्श देवता माने जाते हैं। इसी वजह से पुराणों में हनुमानजी को सकलगुणनिधान भी कहा गया है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी लिखा है कि- ‘चारो जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा।’ इस चौपाई का अर्थ है कि हनुमानजी इकलौते ऐसे देवता हैं, जो हर युग में किसी न किसी रूप गुणों के साथ जगत के लिए संकटमोचक बनकर मौजूद रहेंगे। शास्त्रों में कहा गया है कि हनुमानजी की सेवा करने और उनका व्रत रखने से उनकी विशेष कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है। जानिए मंगलवार की व्रत कथा और पूजन विधि।