केतु ग्रह जाप – Ketu Grah Jaap

केतु ग्रह की उत्पत्ति

अमृतमंथन के बाद एक असुर ने देवताओं का रुप धारण कर अमृतपान कर लिया था जिसके कारण भगवान विष्णु ने उसके दो टुकड़े कर दिए थे। इन दो टुकड़ों को राहू-मुख और केतु-धड़ के रुप में जाना जाता है। 

यह ग्रह तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ और अन्य मानसिक गुणों का कारक है। माना जाता है कि केतु भक्त के परिवार को समृद्धि दिलाता है, सर्पदंश या अन्य रोगों के प्रभाव से हुए विष के प्रभाव से मुक्ति दिलाता है। ये अपने भक्तों को अच्छा स्वास्थ्य, धन-संपदा व पशु-संपदा दिलाता है।

नींद से व्यक्ति बार-बार जागने लगता है। बैचेनी बनी रहती है। केतु के खराब होने पर संतान उत्पति में बाधा आती है। पेशाब की बीमारी हो जाती है। शरीर कमजोर हो जाता है। बाल झड़ने लगते हैं।
वहीं यदि केतु शुभ होता है तो व्यक्ति को राजा बना देता है। केतु के शुभ होने से मकान, दुकान या वाहन पर ध्वज के समान व्यक्ति की प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि रहती है। केतु का शुभ होना अर्थात पद, प्रतिष्ठा और संतानों का सुख। ऐसे व्यक्ति की कई संतानें रहती हैं। केतु ही ऐसा ग्रह है।जो नव ग्रहो में भक्ति प्रधान देवता है। भक्ति, ज्ञान, वैराग्य का कारक ही केतु ग्रह है।यदि किसी भी मनुष्य की कुण्डली मे केतु ग्रह शुभ स्थिति में है।तो केतु ग्रह ऐसे जातक को भक्ति मार्ग, ज्ञान, वैराग्य, धर्मं, दान त्यागी बनाता है। किसी भी धर्म का प्रचारक, सन्तशिरोमणी, कथा वाचक, व्यास भगवान, धर्म शिक्षक, धर्मं शास्त्र-पुराण-किसी की भी धर्म की शिक्षा लेने वाला, दीन हीन की सेवा करने वाला, दानी होता है। कोई संस्था, विद्यालय,गरीब विद्याथियो को विद्या अध्ययन करवाने वाला होता है।हमेशा धर्म के कार्य करने करवाने में अपना समय जीवन व्यतीत करते है केतु शुभ है तो व्यक्ति में पूर्वाभास की क्षमता होता। ऐसे व्यक्ति कुल को तारने वाला होता है।

केतु का जीवन पर असर

केतु का मनुष्य के जीवन पर खासा असर पड़ता है। यदि मनुष्यों की कुंडली के अनुसार केतु सही नहीं है तो वो मनुष्य को अशुभ फल देकर पीडित करता है। मनुष्य के बुरे कर्म भी केतु को अशुभ करते हैं यदि कोई मनुष्य अपने पुरखों का मजाक उड़ाता है या उनका श्राद्धकर्म सही से नहीं करता तो केतु अशुभ हो जाता है। घर में पूजा पाठ ना करने से, गणेश, दुर्गा, हनुमान का अपमान करने से भी केतु अशुभ हो जाता है। झूछ बोलना, गृह कलेश करना, तंत्र, मंत्र जादू, टोने मे रहना केतु को क्रोधित करता है। केतु के खराब बोने से बुद्दि भ्रष्ट हो जाती है। व्यक्ति तांत्रिक क्रियाएं करने लगता है। भूत-प्रेत में विश्वास कर जादू-टोने करने लगता है। मन में नकरात्मक विचार आने लगते हैं। पैर, कान, रीढ़, घुटने, लिंग, किडनी और जोड़ के रोग परेशान करने लगते हैं। मन में हमेशा किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती है। नींद से व्यक्ति बार-बार जागने लगता है। बैचेनी बनी रहती है। केतु के खराब होने पर संतान उत्पति में बाधा आती है। पेशाब की बीमारी हो जाती है। शरीर कमजोर हो जाता है। बाल झड़ने लगते हैं।
वहीं यदि केतु शुभ होता है तो व्यक्ति को राजा बना देता है। केतु के शुभ होने से मकान, दुकान या वाहन पर ध्वज के समान व्यक्ति की प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि रहती है। केतु का शुभ होना अर्थात पद, प्रतिष्ठा और संतानों का सुख। ऐसे व्यक्ति की कई संतानें रहती हैं। केतु ही ऐसा ग्रह है।जो नव ग्रहो में भक्ति प्रधान देवता है। भक्ति, ज्ञान, वैराग्य का कारक ही केतु ग्रह है।यदि किसी भी मनुष्य की कुण्डली मे केतु ग्रह शुभ स्थिति में है।तो केतु ग्रह ऐसे जातक को भक्ति मार्ग, ज्ञान, वैराग्य, धर्मं, दान त्यागी बनाता है। किसी भी धर्म का प्रचारक, सन्तशिरोमणी, कथा वाचक, व्यास भगवान, धर्म शिक्षक, धर्मं शास्त्र-पुराण-किसी की भी धर्म की शिक्षा लेने वाला, दीन हीन की सेवा करने वाला, दानी होता है। कोई संस्था, विद्यालय,गरीब विद्याथियो को विद्या अध्ययन करवाने वाला होता है।हमेशा धर्म के कार्य करने करवाने में अपना समय जीवन व्यतीत करते है केतु शुभ है तो व्यक्ति में पूर्वाभास की क्षमता होता। ऐसे व्यक्ति कुल को तारने वाला होता है।

केतु की शांति के उपाय

केतु को शांत करने एवं उसे खुश करने के लिए घर में हनुमान जी एवं श्री गणेश जी की अराधना करनी चाहिए मनुष्यों को अच्छे कर्म करने चाहिए, कान छिदवाने से भी केतु शुभ होता है। घर में लड़ाई-झगड़ा नहीं होना चाहिए। कुत्तों को रोटी खिलानी चाहिए। केतु को शुभ करने के लिए अपने खाने में से कपिला गाय, कुत्ते, कौवे को हिस्सा दें। पक्षियों को बाजरा खिलाएं। चींटियों के लिए भोजन की व्यवस्था करें। तिल, जौ किसी हनुमान मंदिर में दान करें। गरीबों को भोजन कराएं। ऐसा करने से केतु प्रसन्न होकर शुभ फल देता है।

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