केतु
कुंडली में दुष्प्रभाव दे रहा हो तो जातक चोरी, पुत्र दोष, अव्यवस्थित मानसिकता मान हानि ग्रह क्लेश और संपत्ति की हानि आदि से पीड़ित रहता है। इस दोष को केतु ग्रह दोष शांति जाप द्वारा दूर किया जा सकता है।
केतु को छाया ग्रह कहा जाता है, राहु के बाद केतु ही एक मात्र दूषित ग्रह है जिसका प्रभाव अधिकतर नकारात्मक ही पड़ता है. तीसरे, दसवें ग्यारवें और बाहरवें भाव का केतु केवल कुछ सकारात्मक परिणाम देता है। पांचवे और अष्टम भाव का केतु बहुत ही बुरे परिणाम देता है। केतु घातक दुर्घटनाओ का कारक होता है, जो शारीरिक अपंगता देता है। जब कुंडली में केतु अशुभ होता है तो इसका बुरा प्रभाव हमारे काम काज, संतान सुख, वैवाहिक जीवन आदि पर पड़ता है केतु की अशुभता को दूर करने के लिए केतु शांति पूजा की जाती है।
केतु शांति पूजा के लाभ –
- जीवन में अचानक घटित होने वाली वाहन दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
- वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है, पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है।
- घर परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और कामकाज में भी अच्छा धन-लाभ होता है।
- मानसिक शांति मिलती है, तथा स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।
केतु का जाप मंत्र:-
108 बार “ॐ ऎं ह्रीं केतवे नम:” जाप करे।
केतु का बीज मन्त्र
108 बार ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः जाप करे।
केतु की शांति के लिए श्री गणेशजी की आराधना करनी चाहिए।
पूजन सामग्री
धूप, फूल पान के पत्ते, सुपारी, हवन सामग्री, देसी घी, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा, हवन के लिए लकड़ी (आम की लकड़ी), आम के पत्ते, अक्षत, रोली, जनेऊ, कपूर, शहद, चीनी, हल्दी और गुलाबी कपड़ा| आदि