खाटू श्याम का इतिहास
महाभारत कथा के अनुसार, पांडव पुत्रों के साथ लाक्षागृह की घटना होने के बाद वन-वन भटकते पांडवों की मुलाकात हिडिंबा नामक राक्षसी से हुई। हिडिंबा भीम को अपने पति के रूप में प्राप्त करना चाहती थी। इसी कारण से माता कुंती की आज्ञा मानकर भीम और हिडिंबा का विवाह हुआ, जिससे उन दोनों को एक पुत्र प्राप्त हुआ। जिसका नाम घटोत्कच था। कुछ समय के पश्चात घटोत्कच का विवाह हुआ और उसे एक पुत्र हुआ। जिसका नाम बर्बरीक था, जो अपने पिता से भी ज्यादा शक्तिशाली और मायावी था।
बर्बरीक देवी मां का उपासक था। उन्होंने देवी मां को प्रसन्न कर तीन दिव्य बान प्राप्त किए, जो किसी भी लक्ष्य को भेद के वापस बर्बरीक के पास सुरक्षित आ जाते थे। महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक युद्ध देखने की इच्छा रखकर अपनी मां से आशीर्वाद लेने आये माँ ने पूछा बेटा तुम किस के पक्ष में युद्ध करोगे तो बर्बरीक कहने लगा माँ में हारने वाली सेना की तरफ से लडूंगा और युद्ध मे शामिल होने के इरादे से कुरूक्षेत्र की और प्रस्थान करने की आज्ञा दे भगवान श्री कृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल हुआ तो वह पांडवों के विरूद्ध होगा। इसी कारण से श्री कृष्ण बर्बरीक को रोकने के लिए एक गरीब ब्राह्मण के रूप में बर्बरीक के समक्ष खड़े हो गये और उनसे पूछा की तुम कौन हो और युद्ध भूमि कुरुक्षेत्र क्यों जा रहे हो। जवाब में बर्बरीक ने बताया की वह भी एक योद्धा है, जो इस युद्ध में शामिल होना चाहता है। इसी कारण से में युद्ध भूमि जा रहा हूं।
श्री कृष्ण ने उसकी परीक्षा लेने के लिए एक बाण चलाने को कहा जिससे पीपल के पेड़ के सारे पत्तों में छेद हो गया सीवाय एक पत्ते के जो कि श्री कृष्ण के पैर के नीचे था। भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि तुम तो बहुत ही पराक्रमी हो मुझ गरीब को कुछ दान नहीं दोगे। बर्बरीक ने जब श्री कृष्ण से जब दान मांगने को कहा तो उन्होंने बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक तुरंत समझ गए कि ये कोई ब्राह्मण नहीं है। इसलिए बर्बरीक ने श्री कृष्ण को उनके वास्तविक रूप में आने के लिए कहा और श्री कृष्ण अपने वास्तविक रूप में आ गए।और भगवान ने बर्बरीक का शीश दान में मांग लिया बर्बरीक ने खुशी-खुशी दान के रूप में भगवान श्री कृष्ण को अपना शीश दे दिया।
बर्बरीक ने शीश दान करने से पहले श्री कृष्ण से युद्ध देखने की इच्छा जताई इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक के कटे हुए शीश को युद्ध क्षेत्र के सबसे ऊंचे स्थान पर रख दिया।
महाभारत के युद्ध में पांडव विजय होने के पश्चात आपस में वाद-विवाद कर रहे थे। तब श्री कृष्ण ने कहा- इसका निर्णय बर्बरीक का शीश ही कर सकता है। तब बर्बरीक के शीश ने कहा, युद्ध क्षेत्र में श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र चल रहा था, जिससे सभी लोग कटे हुए वृक्ष की भांति रणभूमि में पराजित हो रहे थे और बर्बरीक के शीश ने यह भी कहा कि रणभूमि में द्रौपति महाकाली के रूप रक्त पान कर रही थी।
इससे श्री कृष्ण प्रसन्न होकर बर्बरीक के कटे हुए शीश को वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे ही स्वरूप में श्याम नाम से पूजे जाओगे और तुम्हारे स्मरण मात्र से भक्तों का कल्याण होगा और साथ ही उन्हें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होगी।
निशान क्यों चढ़ाते हैं
ऐसा माना जाता है कि पैदल निशान यात्रा करके श्याम बाबा को निशान चढाने से बाबा शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना को पूर्ण करते हैं। सनातन संस्कृति में ध्वज को विजय का प्रतीक माना जाता है। श्री श्याम बाबा के महाबलिदान शीश दान के लिए उन्हें निशान चढ़ाया जाता है
पूजा विधि
- सबसे पहले आप सूर्य उदय से पहले उठकर घर की अच्छे से साफ सफाई करें और फिर खुद स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ कपड़े धारण कर ले.
- उसके पश्चात पूजा की सभी सामग्री इकट्ठा कर ले जैसे फल, फूल, अक्षत, कच्चा दूध, अगरबत्ती, धूप बत्ती ,कपूर, गाय का देसी घी, इत्यादि सामग्री तैयार कर ले.
- उसके बाद अपने घर के किसी शांत वातावरण में खाटू श्याम बाबा की चौकी सजाए.
- चौकी सजाने के लिए आप जिस स्थान पर चौकी बनाना चाहते हैं उस स्थान पर गंगाजल छिड़क कर उस जगह को पवित्र करें.
- उसके बाद उस स्थान पर लाल रंग की चादर बिछाए.
- चौकी सजाने के बाद आप चौकी पर बाबा श्याम विग्रह की स्थापना करें .
- उसके बाद खाटू श्याम की प्रतिमा को पंचामृत से अभिषेक करके उन्हें स्वच्छ जल से स्नान कराने के पश्चात उनके शरीर के पानी को किसी स्वच्छ कपड़े से पोंछ दें, खाटू श्याम को स्नान कराने के पश्चात उन्हें स्वच्छ वस्त्र धारण कराकर उनके लिए सजाई गई चौकी पर इन्हें विराजमान कर दें.
- उसके बाद खाटू श्याम के सामने फल-फूल, लड्डू, पेड़ा, खीर, कच्चा दूध माखन मिश्री यह सब कुछ अर्पित करें.
- फिर गाय के देसी घी का दीपक जला कर खाटू श्याम की प्रतिमा के सामने प्रवाजलित करें.
- दीपक जलाने के बाद आप खाटू श्याम बाबा की प्रतिमा के सामने धूपबत्ती अगरबत्ती जलाएं.
- उसके पश्चात खाटू श्याम बाबा को माखन, खीर, हलवा ,लड्डू, बर्फी, कच्चा दूध, आपसे जो हो सके आप उस चीज का भोग लगाएं.
- भोग लगाने के बाद आप कपूर जलाकर खाटू श्याम बाबा की आरती करें.
आरती
जय श्री श्याम हरे –2 खाटू धाम विराजित
पूर्ण काम करें
ओम जय श्री श्याम हरे,,,, अनुपम रूप धरे
1, गल पुष्पों की माला ,सिर पर मुकुट धरे ,
पीत बसंन पीतांबर ,कुंडल कर्ण पड़े
0,ओम जय श्री श्याम हरे
2,रत्न जड़ित सिंहासन , सेवक भक्त खड़े
खेवट धूप अग्नि पर दीपक ज्योति जले
0,जय श्री श्याम हरे
3,मोदक खीर चूरमा सुवर्ण थाल भरे सेवक भोग लगावे सिर पर चवर ढूरें
0,जय श्री श्याम हरे
4,झांज नगाड़ा और घड़ियावल शंख मृदंग पूरे
भक्त आरती गावे जय जयकार करे
0,जय श्री श्याम हरे
5,जो ध्यावे फल पावे सब दुख से उभरे
सेवक जन निज मुख से श्याम श्याम उचरे
0,जय श्री श्याम हरे
6,श्याम बिहारी जी की आरती जो कोई नर गावे
कहत आलु सिंह स्वामी मनवांछित फल पावे
0, जय श्री श्याम हरे
प्रार्थना
हाथ जोड़ विनती करूँ सुनियो चित्त लगाए,
दास आ गयो शरण मे रखियो इसकी लाज,
मेरे श्याम बाबा श्याम मेरे खाटू वाले श्याम,
धन्य ढूंडारो देश है खाटू नगर सुजान,
अनुपम छवि श्री श्याम की दर्शन से कल्याण,
मेरे श्याम बाबा श्याम मेरे खाटू वाले श्याम,
श्याम श्याम तो मैं रटू श्याम है जीवन प्राण,
श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम,
मेरे श्याम बाबा श्याम मेरे खाटू वाले श्याम,
खाटू नगर के बीच में बण्यो आप को धाम,
फागुन शुक्ला मेला भरें जय जय बाबा श्याम,
फागुन शुक्ला द्वादशी उस्तव भरी होए,
बाबा के दरबार से खाली जाये न कोए,
मेरे श्याम बाबा श्याम मेरे खाटू वाले श्याम,
उमापति लक्ष्मी पति सीता पति श्री राम,
लजा सबकी राखियो खाटू के बाबा श्याम,
मेरे श्याम बाबा श्याम मेरे खाटू वाले श्याम,
पान सुपारी इलायची इतर सुगंद भरपूर,
सब भगतो की विनती दर्शन देवो हजूर,
मेरे श्याम बाबा श्याम मेरे खाटू वाले श्याम,
आलू सिंह तो प्रेम से धरे श्याम को ध्यान,
श्याम भकत पावे सदा श्याम किरपा से मान,
मेरे श्याम बाबा श्याम मेरे खाटू वाले श्याम,