श्री रामचरित मानस के अनुसार महर्षि पुलस्त्य के पुत्र महामुनि विश्रवा का महर्षि भारद्वाज की पुत्री इलविला से पाणिग्रहण संस्कार हुआ था तथा उनकी कोख से कुबेर ने जन्म लिया था। ब्रह्मा जी ने इन्हें समस्त सम्पत्ति का स्वामी बनाया।
क्यो पूजे जाते हैं लक्ष्मी जी के साथ कुबेर
हिन्दू धर्मग्रंथों व पुराणों में लक्ष्मी जी को धन और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। वहीं कुबेरजी को भी धन का स्वामी माना जाता है। चेन्नई में एक ऐसा मंदिर है, जहां इन दोनों की प्रतिमा एक साथ विराजित है। कहा जाता है कि दुनिया में यही एकमात्र मंदिर है, जहां इस रूप में कुबेर लक्ष्मी संग विराजे हैं।
शास्त्रों में कुबेर को धन का देवता कहा गया है. कुबेर की पूजा स्थाई धन के लिए की जाती है. ये दिग्पाल और प्रहरी के रूप में धन और खजाने की रक्षा करते हैं
कैसे करे स्थापना
कुबेर यंत्र दक्षिण दिशा में स्थापित करें और गंगाजल के साथ विनियोग मंत्र का जाप करें। उस जल को भूमि पर अर्पित कर दें और फिर कुबेर मंत्र का शुद्ध उच्चारण करें।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है
कुबेर पूजा विधि
आपके पास श्री कुबेर जी की मूर्ति है तो वह पूजा में उपयोग की जा सकती है। अगर आपके पास कुबेर की मूर्ति नहीं है तो उसके बदले आप तिजोरी या गहनों को श्री कुबेर के रूप में मानिये और उसकी पूजा कीजिये। तिजोरी, बक्से आदि की पूजा से पहले सिन्दूर से स्वस्तिक-चिह्न बनाना चाहिए और उस पर ‘मौली’ बाँधना चाहिए।
ध्यान
सर्व प्रथम मन्त्रो द्वारा श्री कुबेर का ध्यान करें। मानव-स्वरूप विमान पर विराजमान, श्रेष्ठ गरुड़ के समान सभी निधियों के स्वामी, भगवान् शिव के मित्र, मुकुट आदि से सुशोभित और हाथों में वर-मुद्रा एवं गदा धारण करनेवाले भव्य श्रीकुबेर की मैं वन्दना करता हूँ। आवाहन
करे भगवान् श्री कुबेर का ध्यान करने के बाद गहनों और नकदी आदि के सम्मुख आवाहन-मुद्रा से पार्थना करे हे देव, सुरेश्वर! मैं आपका आवाहन करता हूँ। आप यहाँ पधारें, कृपा करें। सदा मेरे भण्डार की वृद्धि करें और रक्षा करें। ॥मैं श्रीकुबेर देव का आवाहन करता हूँ॥
पुष्पाञ्जली
आवाहन करने के बाद निम्न मन्त्र पढ़कर श्रीकुबेर देव के आसन के लिए पाँच पुष्प अञ्जलि में लेकर अपने सामने, धन नकदी गहनों आदि के निकट छोड़े। हे देवताओं के ईश्वर! विविध प्रकार के रत्न से युक्त स्वर्ण-सज्जित आसन को प्रसन्नता हेतु ग्रहण करें। ॥भगवान् श्रीकुबेर के आसन के लिए मैं पाँच पुष्प अर्पित करता हूँ॥ नव उपचार पूजन इसके बाद ‘चन्दन-अक्षत-पुष्प-धूप-दीप-नैवेद्य’ से भगवान् श्रीकुबेर का पूजन करे इस प्रकार पूजन करने के बाद बाएँ हाथ में गन्ध, अक्षत, पुष्प लेकर दाहिने हाथ द्वारा मन्त्र पढ़ते हुए गहनों नकदी आदि पर छोड़े हम आप को नमस्कार!करते हैं इस पूजन से श्रीकुबेर भगवान् प्रसन्न हों, उन्हें बारम्बार नमस्कार।
आरती श्री कुबेर जी की ॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे,स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,भण्डार कुबेर भरे॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,कई-कई युद्ध लड़े॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,सब जय जय कार करैं॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
गदा त्रिशूल हाथ में,शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,धनुष टंकार करें॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
भाँति भाँति के व्यंजन बहुत बने,स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,साथ में उड़द चने॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
बल बुद्धि विद्या दाता,हम तेरी शरण पड़े, स्वामी हम तेरी शरण पड़े
अपने भक्त जनों के,सारे काम संवारे॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
मुकुट मणी की शोभा,मोतियन हार गले, स्वामी मोतियन हार गले।
अगर कपूर की बाती,घी की जोत जले॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
यक्ष कुबेर जी की आरती,जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत प्रेमपाल स्वामी,मनवांछित फल पावे॥
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥