कोन है लड्डू गोपाल
श्रीमद भागवत कथा के अनुसार कंश के कारगर में माँ देवकी के गर्भ से भगवान अवतरित हुए भगवान ने बाल रूप में अवतार धारण किया उन्ही भगवान के बाल रूप को हम लड्डू गोपाल के नाम से जानते है जिस बालक ने जन्म लिया गर्गाचार्य जी ने नामकरण किया और अनन्त नाम भगवान के बताए उन्ही में से एक नाम को हम गोपाल (लड्डू गोपाल) कहते हैं
कैसे लाये घर पर लड्डू गोपाल
लडडू गोपाल का स्वरूप बाल हैं यानी बच्चे के रूप में है भगवान के बाल रूप की सेवा पूजा बाल रूप में की जाती है हमे उनको अपने बालक की तरह रखना चाहिए जहां तक अपने घर पर गोपाल जी को लाने की बात है तो यदि हमे कोई गोपाल जी को या तो दान करे या उपहार में दे तो ज्यादा शुभ होता है यदि हम लाना ही पड़े तो जन्माष्टमी जैसे भगवान के अवतरण दिवस पर लाना चाहिए जिस दिन गोपाल जी का घर मे आगमन हो उस दिन को जन्म दिन के रूप में मनाना चाहिये गोपाल जी की हमे श्रद्धा से प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए और सुंदर से नाम अपने गोपाल जी का रखना चाहिए फिर उन्हें भगवान का बाल रूप समझकर उनकी सेवा पूजा करनी चाहिए
कैसे करे लड्डू गोपाल की पूजा
प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में जगकर हमे नित्य क्रिया से निर्वत होकर शरीर की शुद्वि करनी चाहिए फिर हमें राधे राधे का कीर्तन करते हुए गोपाल जी को जगाना चाहिए जगाने के बाद जल पात्र गोपाल जी के पास रखे आचमन आदि कराये फिर पन्चामृत तैयार कर गोपाल जी का अभिषेक कराना चाहिए अभिषेक के बाद नवीन वस्त्र पहनाये श्रंगार करे चन्दन कुमकुम आदि से फूलो के हार सहित श्रंगार करे पूजा आरती भोग लगा कर क्षमा प्राथना करे फिर स्वयं प्रशाद ग्रहण करे उसके बाद अपने दैनिक कार्य हमे करने चाहिए दिन में चार बार जल पात्र हमे गोपाल जी का बदल देना चाहिए शाम को सन्ध्या आरती भोग और उसके बाद शयन आरती करें इस प्रकार से नित्य नियम से गोपाल जी की सेवा पूजा करे
भोग कैसा हो
हमे भगवान का भोग विशेष पवित्र अवस्था मे होकर बनाना चाहिए भोग सात्विक हो अभक्ष्य पदार्थ का कभी भी भोग ना लगाए लहसुन प्याज आदि भी भोग में वर्जित है कीर्तन करते हुए भोग बनाना चाहिए ब्जिग में पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए
लड्डू गोपाल जी की सेवा पूजा के लाभ
यदि हम भाव श्रद्धा से गोपाल जी की सेवा पूजा करते है तो हमारे जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं यदि हमें सन्तान नही हो तो गोपाल जी की सेवा पूजा करनी चाहिए जिस से हमे सन्तान प्राप्ति होती है घर के सभी कलह समाप्त हो जाते हैं और सुख की प्राप्ति होती है
आरती
आरती बालकृष्ण की कीजै
आरती बाल कृष्ण की कीजै,
अपनो जन्म सफल कर लीजै,
श्री यशोदा को परम दुलारो,
बाबा की अखियन को तारों,
गोपिन के प्राणन सों प्यारो,
इन पर प्राण न्योछावर कीजै,
आरती बालकृष्ण की कीजै,
बलदाऊ को छोटो भैया,
कलुआ कलुआ बोले या की मैया,
प्रेम मुदित मन लेत बलैयां,
यह छवि नैनन में भर लीजै,
आरती बालकृष्ण की कीजै,
तोतली बोली मधुर सुहावे,
सखा संग खेलत सुख पावे,
सोई सूक्ति जो इनको ध्यावे,
अब इनको अपना कर लीजै,
आरती बालकृष्ण की कीजै,
श्री राधा वर सुघड़ कन्हैया,
ब्रज जन को नवनीत खिवैया,
देखते ही मन लेत चुरैया,
अपना सर्वस्व इनको दीजे,
आरती बालकृष्ण की कीजै,