लक्ष्मी पूजा – Lakshmi Puja

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हमारे सनातन धर्म में लक्ष्मी गणेश पूजन का विशेष महत्व है हमें पवित्र अवस्था में होकर लक्ष्मी गणेश पीठ निर्माण करना चाहिए व उस पर लक्ष्मी गणेश विराजमान करके हाथ में अक्षत पुष्प लेकर परिवारी जन के साथ एक चित्त होकर भगवान गणेश और लक्ष्मी जी का ध्यान करना चाहिए शुभ अवसरों पर जैसे दीपावली आदि पर विशेष पूजा की जाती है

दीपावली, दिवाली, दीपोत्सव यानी महालक्ष्मी पूजन का शुभ अवसर, इस दिन हम सभी चाहते हैं कि विधि-विधान से पूजन कर मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाए। यहां शास्त्रोक्त पौराणिक विधि बताते हैं

कैसे करे लक्ष्मी पूजन

सबसे पहले चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां रखें उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे।

लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें।

पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें।

कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें।

नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है।

दो बड़े दीपक रखें। एक घी का, दूसरा तेल का। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। एक दीपक गणेशजी के पास रखें।

मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं।

कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं।

गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।

इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी।

सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें।

निम्नानुसार सामग्री की व्यवस्था करें

  1. ग्यारह दीपक, 2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान, 3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।

अब विधि-विधान से पूजन करें।

इन थालियों के सामने यजमान बैठे। आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें। कोई आगंतुक हो तो वह आपके या आपके परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे।

चौकी

(1) लक्ष्मी, (2) गणेश, (3) मिट्टी के दो बड़े दीपक, (4)वेदी (5) कलश, जिस पर नारियल रखें, वरुण (6) नवग्रह, (7) षोडशमातृकाएं, (8) श्री विग्रह, (9) बहीखाता, (10) कलम और दवात, (11) नकदी (12) जल का पात्र, (14) यजमान, (15) पुजारी, (16) परिवार के सदस्य, (17) आगंतुक।

महालक्ष्मी पूजन की सरल विधि

समस्त सामग्री एकत्र करने के बाद और सारी तैयारी पूरी होने के बाद

कैसे करें महालक्ष्मी की पूजा, जानें यहां

सबसे पहले पवित्रीकरण करें।

आप हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में मंत्र पढ़ें।

मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पवित्र कर लें। स्वस्तिवाचन एवं मन्त्रो के साथ समस्त परिवार बंधु बंधुओं के साथ हमें लक्ष्मी गणेश का पूजन करना चाहिए शुभ मुहूर्त में पूजन करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है दीपदान करने से आयु यश कीर्ति की वर्द्धि होती है लक्ष्मी का प्रादुर्भाव होता है

लक्ष्मी माता की आरती

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।

आरती पूरी होने के बाद तुलसी में आरती जरूर दिखाना चाहिए, इसके बाद घर के लोगों को आरती लेनी चाहिए।प्रणाम करके अर्चना करें प्रार्थना करें एवं क्षमा प्रार्थना करें अंत में हाथ में पुष्प लेकर पुष्पांजलि करें

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