रुद्र कोन है
भगवान शिव के रूप को ही रुद्र कहते हैं जैसे भगवान विष्णु के 24 अवतारों का वर्णन है उसी प्रकार शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव के भी रुद्र अवतारो का वर्णन है
एकादश रुद्र अवतारों के नाम
एकादशैते रुद्रास्तु सुरभीतनया: स्मृता: ।
देवकार्यार्थमुत्पन्नाश्शिवरूपास्सुखास्पदम्
अर्थ
ये एकादश रुद्र सुरभी के पुत्र कहलाते हैं । ये सुख के निवासस्थान हैं तथा देवताओं के कार्य की सिद्धि के लिए शिवरूप से उत्पन्न हुए हैं
- कपाली
- पिंगल
- भीम
- विरूपाक्ष
- विलोहित
- शास्ता
- अजपाद
- अहिर्बुध्न्य
- शम्भु
- चण्ड
- भव
रुद्र अभिषेक क्यो किया जाता हैं
रुद्र अभिषेक करने से हमारे अन्दर की सभी नकारात्मक उर्जायें निकल कर सकारात्मक ऊर्जाओं का संचार होता है रुद्र अभिषेक पूजा 11 वस्तुओं के साथ शिवलिंग का अभिषेक करके होती है और भगवान शिव के 108 नामों का जाप किया जाता है। रुद्र रूप में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए लोग इस पूजा को करते हैं। इसमें शिवलिंग को नियमित रूप से जल से स्नान कराया जाता है, जिसे रुद्रसुखा के नाम से जाना जाता है। हालाँकि, इसे सभी वैदिक शास्त्रों द्वारा सबसे बड़ी पूजा के रूप में देखा जाता है। अभिषेक भगवान शिव का पूजन है। साधक गाय के दूध, घी, दही, शहद गन्ने के रस भस्म नारियल पानी आदि से अभिषेक करते हैं
अभिषेक करने के लाभ
सकारात्मक ऊर्जाएं आती है ,युद्ध में विजय, मुकदमे में विजय, यदि जातक की कुंडली मे काल सर्प योग दोष हो तो अभिषेक कराया जाता है विशेष कार्य मे बाधा उतपन्न हो तो अभिषेक कराया जाता है
रुद्राभिषेक के विभिन्न पूजन के लाभ इस प्रकार हैं-
• जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
• असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
• भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
• लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
• धनवृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
• तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
• इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है।
• पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
• रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
• ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/ गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
• सहस्रनाम मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
• प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।
• शकर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
• सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
• शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
• पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
• गोदुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
• पुत्र की कामना वाले व्यक्ति शकर मिश्रित जल से अभिषेक करें। ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है।