मंगल को मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी माना गया है। ग्रहों में इसे सेनापति का दर्जा प्राप्त है। यह ग्रह दशम स्थान का कारक है। इसके शुभ होने पर उच्च राजयोग बनता है। जातक में नेतृत्व क्षमता आती है। पराक्रम-साहस आता है। मंगल शांति हेतु श्री नवग्रह शांति चालीसा एवं श्री नवग्रह शांति विधान करके अपना सौभाग्य जगा सकते हैं। मंगल अशुभ अथवा कमजोर हो तो हनुमान जी की पूजा,हनुमान चालीसा,सुंदरकांड का पाठ ,बजरंग बाण लाभदायक होता है। मंगल के कारण विवाह बाधा हो तो मंगल चंडिका स्तोत्र का पाठ लाभ देता है।
मंगल के अशुभ प्रभाव
– इंसान क्रूर और हिंसक स्वभाव का होता है
– आत्मविश्वास और साहस का स्तर कमजोर होता है
– संपत्ति और जमीन के मामले में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
– इंसान को रक्त सम्बन्धी समस्याएँ होती हैं
कई जातक ऐसे होते हैं जिनकी कुंडली में 1, 4 ,7, 8 और 12 वें भाव में मंगल बैठा होता है। इसे ही मांगलिक दोष कहा जाता है। इसके चलते जातक को अपने जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना विवाह में बाधा सन्तति वृद्धि में रोक ग्रह क्लेश
घरेलू उपाय
किसी ब्राह्मण व क्षत्रिय को गेहू, गुड, माचिस, तम्बा, स्वर्ण, गौ, मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्टान एवं द्रव्य और भूमि दान करने से या लाल वस्त्र पहनने से मंगल दोष दूर होता है। वहीं, लाल कपड़े में मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्टान एवं द्रव्य लपेटकर किसी नदी में बहा देने से मंगल जनित अमंगल दूर होता है।
तुलसी के पौधे के पास रोज शाम को घी का दिया जलाएं साथ ही तुलसी को मनकों की माला पहनाएं। कृष्ण जी का सच्चे मन से पूजन करें। इनकी एक तस्वीर में पौधे के पास स्थापित कर दें। ध्यान रहे कि तुलसी के पौधे को रविवार को नहीं पूजा जाता है
जेब या पर्स में चांदी का चौकोर टुकड़ा रखने से कुंडली में मंगल के कारण विवाह में हो रहा विलंब ठीक हो जाएगा।
मांगलिक कुंडली वाले जातकों को हर मंगलवार मंगलदेव का निमित्त विशेष पूजन करना चाहिए। साथ ही लाल मसूर की दाल, लाल कपड़े जैसी मंगलदेव की प्रिय चीजों को दान करना चाहिए।
मंगलवार के दिन हनुमान जी का व्रत करें और हनुमान चालीसा का पाठ भी करें। हनुमान जी को सिन्दूर एवं चमेली का तेल अर्पित करें। इससे मंगल दोष शांत हो जाएगा।
मंगल के लिए वैदिक मंत्र
“ऊँ अग्निमूर्धादिव: ककुत्पति: पृथिव्यअयम। अपा रेता सिजिन्नवति ।”