मंगलवार व्रत उद्यापन – Mangalvar vrat udyapan

Mangalvar Vrat Udyapan

मंगलवार का व्रत बहुत ही श्रद्धा पूर्वक रखना चाहिए ये व्रत कम से कम 21 मंगलवार या 45 मंगलवार साधक को रखना चाहिए इस व्रत को रखने से हमारे जीवन के कष्टों का निवारण होता है सुख समृधि प्राप्त होती है ग्रह क्लेश का निवारण ।मनोवांछित फल की प्राप्ति व भगवान हनुमान जी की असीम अनुकम्पा मिलती है

21 या 45 मंगलवार व्रत रखने के बाद 22 वें या 46 वें मंगलवार के दिन उद्यापन करना चाहिए। इसके लिए भगवान हनुमान को चोला चढ़ाएं। इसके साथ ही 21 ब्राह्मणों को बुलाकर भोजन कराएं। इसके साथ ही अपनी योग्यता के अनुसार दान -दक्षिणा ब्राह्मणों को दे

कैसे करें मंगलवार के व्रत का आरंभ

मान्यताओं के अनुसार किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार से मंगलवार के व्रत का आरंभ करना शुभ माना जाता है। यदि आप मंगलवार के व्रत को आरंभ करते हैं तो शास्त्रों के अनुसार 21 या 45 मंगलवार का व्रत रखना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत के दौरान व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बहुत से लोग मंगलवार का व्रत आजीवन भी रखते हैं।

मंगलवार व्रत की पूजा विधि

  • इस व्रत को रखने के लिए सबसे पहले मंगलवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ वस्त्र धारण करें अगर वस्त्र लाल रंग के हो जो ज्यादा बेहतर है। 
  • मान्यताओं के अनुसार आपने जो लाल वस्त्र पहना है वह सिला हुआ नहीं हो तो बेहतर है। 
  • मंगलवार के दिन व्रत के दौरान आप मंदिर या घर दोनों में से कहीं पर भी जा कर पूजा कर सकते हैं। 
  • यदि आप घर में पूजा कर रहे हैं, तो ईशान कोण को साफ कर के वहां पर एक चौकी रख उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। फिर उस चौकी के ऊपर हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें और वहीं पर भगवान श्री राम और माता सीता की भी प्रतिमा या तस्वीर भी अवश्य स्थापित करें।
  • इतना करने के पश्च्यात हाथ में जल लेकर आप जितने मंगलवार का व्रत रखेंगे उसका संकल्प लें और हनुमान जी से प्रार्थना करें की आपको समस्त कष्टों से मुक्त करें और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें। 
  • व्रत के संकल्प के बाद घी का दीपक या धूप दीप जलाकर पहले भगवान श्री राम और माता सीता की आरती करें, फिर हनुमान जी की पूजा करें।
  • हनुमान जी को लाल फूल, लाल वस्त्र, लाल सिंदूर और चमेली के तेल का तेल बजरंगबली को चढ़ाएं।
  • इसके पश्च्यात हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें व आरती करें और भगवान को गुड़ केले और लड्डू का भोग लगाएं। 
  • भगवान पर चढ़ाए प्रसाद को परिवार के सभी सदस्यों में वितरित करें। 

व्रत रखते समय यह ध्यान रहे कि इस व्रत में केवल एक बार सूर्य अस्त होने से पहले मीठा भोजन करना है। भोजन में नमक नाम मात्र का भी नहीं होना चाहिए इस बात का विशेष ख्याल रखें। 

उद्यापन की सामग्री

हनुमान जी (मंगलदेव) की मूर्ति या चित्र
∗ चौकी
∗ शुद्ध जल
∗ धूप
∗ दीप
∗ गंगाजल
∗ लाल फूल
∗ इत्र
∗ लाल चंदन
∗ गेहूं या मैदे से बना हुआ लाल मीठा भोजन
∗ लडडू बूंदी के सवा किलो

∗ लाल वस्त्र सवा मीटर
∗ यज्ञोपवीत जनेउ
∗ पंचामृत (गाय का कच्चा दूध, दही,घी,शहद एवं शर्करा मिला हुआ
∗ पान पते
∗ सुपारी
∗ फल 5 प्रकार के
∗ रोली
∗ मौली
∗ चावल/अक्षत ( लाल रंग से रंगे हुए)
∗ घी
∗ आचमनी
∗ पंचपात्र
∗ लोटा
∗ ऊन का आसन लाल
∗ लाल सिंदूर
∗ हवन के लिये:- सामग्री
∗ हवन सामग्री 500 ग्रा,
∗ काले तिल 50 ग्राम
∗इन्द्र जौ 50 ग्राम
∗ घी सवा किलो
∗ समिधा हवन लकड़ी
∗ दान के लिये:-
∗ गेहूं-सवा किलो
∗ मसूर-सवा किलो
∗ गुड़-सवा किलो
∗ लाल वस्त्र- सवा पांच मीटर
∗ तिल गुड़ मिश्रित लड्डू-

अपना संकल्प पूर्ण होने पर कुशल ब्राह्मण को बुलाकर हनुमानजी की पूजा एवं चोला चढाये 21 ब्राह्मणों को बुलाकर भोजन कराएं उनको दक्षिणा अर्पण कर क्षमा प्रार्थना करे

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