ओम जय जय जय गिरिराज
स्वामी जय जय जय गिरिराज
संकट में तुम राखो निज भक्तन की लाज
इंद्रादिक सब देवा तुमरो ध्यान करें
ऋषि मुनि जन यस गांवे ते भव सिंधु तरें
ओम जय जय जय गिरिराज
सुंदर रूप तुम्हारा श्याम शिला सोह
वन उपवन लख-लख के भगतन मन मोहे
ओम जय जय जय गिरिराज
मानसी गंगा कल के मल हरनी
तोपे दीप जलामें उतरें बेतरनी
ओम जय जय जय गिरिराज
नवल अप्सरा कुंड सुहाने दाएं शुख कारी
बाये राधा कृष्ण कुंड है महापापन हारी
ओम जय जय जय गिरिराज
तुम हो मुक्तिदाता कलयुग में स्वामी
दीनन के हो रक्षक प्रभु अंतर्यामी
ओम जय जय जय गिरिराज
हम हैं शरण तुम्हारी गिरवर गिरधारी
देवकीनंदन कृपा करो हे भक्तन हारी
ओम जय जय जय गिरिराज
जो नर दे परिक्रमा पूजन पाठ करें
गांवे में नित्य आरती पुनि नही जन्म धरे
ओम जय जय जय गिरिराज