पंच ओम कार देव कोंन से होते हैं
सनातन परंपरा में प्रत्यक्ष देवता सूर्य, प्रथम पूज्य भगवान गणेश, देवी दुर्गा, देवाधिदेव भगवान शिव और भगवान विष्णु, पंचदेव कहलाते हैं। सनातन परंपरा में आस्था रखने वाले व्यक्ति को इन सभी की पूजा अनिवार्य रूप से करनी चाहिए। मान्यता है कि प्रतिदिन पूजा के दौरान पंचदेव का ध्यान एवं मंत्र जप करने वाले पर इन सभी की कृपा बरसती है और उसके घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। यदि आप समय के अभाव में इन पंचदेवों की पूजा विधि-विधान से नहीं कर पाते हैं तो आप इनके मंत्रों के जरिए इन्हें प्रसन्न कर कृपा पा सकते हैं।
हिन्दू धर्म के प्रत्येक मांगलिक कार्य या पूजा आदि में पंच देव की पूजा का विधान है। इनके बगैर पूजा अधूरी मानी जाती है। इन पंचदेवों की पूजा से ही सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं। आओ जानते हैं कि कौन हैं पंच देव और कैसे होती है इनकी पूजा।
पंचदेव और उनका क्रम
: ब्रह्मा, विष्णु, महेष, गणेश और सूर्य। कुछ जगहों पर ब्रह्मा की जगह दुर्गा माता को जोड़ा जाता है। विष्णु, शिव, गणेश, सूर्य और शक्ति। कहीं पर सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु इस क्रम में उनकी पूजा होती है। अधिक मान्यता अनुसार पंच देवों में सबसे पहले सूर्य की ही पूजा का प्रचलन रहा है। बाद में यह प्रचलन बदला और पंच देवों का क्रम भी बदला और सर्वप्रथम गणेशजी पूज्य हो गए। परंतु शास्त्र कहते हैं कि
पंचदेव- 1- आकाश, 2- वायु, 3- अग्नि, 4-जल और 5- पृथ्वी आदि, और इन पंचभूतों के अधिपति हैं –
रविर्विनायकश्चण्डी ईशो विष्णुस्तथैव च।
अनुक्रमेण पूज्यन्ते व्युत्क्रमे तु महद् भयम्।।
अर्थात : इसका अर्थ है उपासक को पंचदेवों में सबसे पहले भगवान सूर्य उनके बाद श्री गणेश, मां दुर्गा, भगवान शंकर और भगवान विष्णु को पूजना चाहिए।
पंचदेव पूजा :
प्रत्येक देवता का अपना मंत्र होता है जिसके द्वारा उनका आह्वान किया जाता है। जिस भी देवता का पूजन किया जाता है उससे पूर्व पंचदेवों का पूजन किया जाना जरूरी है। स्नानादि कराने के बाद देवताओं को पत्र, पुष्प, धूप आदि अर्पित किए जाते हैं। प्रत्येक चीज अर्पित किए जाने के समय प्रत्येक का वैदिक मंत्र निर्धारित है।
पंचोमकार पूजा के लाभ
लौकिक जगत में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है
सुख समृधि आती है
शत्रु पर विजय प्राप्त होती है
गृह क्लेश समाप्त होता है
पदोउन्नति होती है
रुके हुए काम बनते हैं
सर्व बाधाओ का निवारण होता है