पितृ कोंन है
हमारे घर परिवार में जब कोई व्यक्ति अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाता है तो वह व्यक्ति पितृ योनि में चला जाता है जहाँ पर उस व्यक्ति के द्वारा जीवन मे किये हुए अच्छे व बुरे कर्मो का हिसाब होता है उस व्यक्ति को पितृ नाम की संज्ञा दी जाती है या यूं कहें देव और मानव के बीच की कड़ी को पितृ कहते हैं
पितृ दोष कैसे बनता है
जब किसी जातक की कुंडली के लग्न भाव और पांचवें भाव में सूर्य, मंगल और शनि विराजमान हो तो पितृ दोष बनता है. इसके अलाव अष्टम भाव में गुरु और राहु एक साथ आकर बैठ जाते हैं तो पितृ दोष का निर्माण होता है. जब कुंडली में राहु केंद्र या त्रिकोण में मौजूद हो तो पितृदोष बनता है
घर परिवार में मरने वाले व्यक्ति की अंतिम संस्कार क्रिया विधिवत ना होना
आकस्मिक मौत हो जाना
अकाल मृत्यु हो जाना
दुर्घटना में मृत्यु हो जाना
झगड़े आदि में मृत्यु हो जाना
परदेश में मृत्यु हो जाना
बीमारी में मृत्यु हो जाना
मृतक को श्राद तर्पण आदि ना करने से हमे पितृ दोष लग जाता है यानी पितरो का नाराज हो जाना ही पितृ दोष कहलाता है
पितृ दोष के लक्षण
घर में कलह (कलह) क्लेश रहना, कारोबार में हानि,विवाह में अड़चन आना,सन्तति वृद्धि में रोक लगना, सन्तान मन्द बुद्धि होना,सन्तान चरित्र हीन हो जाना, घर से बीमारियों का ना निकलना,दवा बेअसर होना, दुर्घटना होना, मांगलिक कार्यों में बाधा उत्पन्न होना घर मे प्रेत बाधा, बुरे डरावने सपने देखना,सपने में सर्प देखना ,छोटा बालक दिखना,कोई भूखा प्यासा आप से भोजन पानी याचना करते देखना,इत्यादि पितृ दोष के लक्षण है
पितृ दोष के उपाय
वैसे तो पितृ मुक्ति के लिए हमे श्री मद भागवत कथा करानी चाहिए या भागवत का मूल पाठ अपने घर पर कराना चाहिए गजेंद्र मोक्ष का पाठ एवं पितृ गायत्री आदि अनुष्ठान अपने घर कराने चाहिए
अमावस्या को पितृ तर्पण करे ,व पितरो को भोग लगाए उनकी पूजा करे
गऊ को रोटी दे कुतो और कौवो को रोटी दे
किसी ब्राह्मण को भोजन कराये वस्त्र दक्षिणा अर्पण करें पीपल पर दूध चढाये
घर में दक्षिण दिशा में पूर्वजो की फोटो लगानी चाहिये
पित्रो को गंगा स्नान कराये एव स्थान दे