सर्व ग्रह शांति जाप – Sarv Grah Shaanti Jaap

ज्योतिषों के अनुसार, हर एक व्यक्ति किसी न किसी ग्रह दोष से परेशान है। बिना वजह घर में क्लेश होगा, काम बनते हुए बिगड़ जाना, कोई न कोई बीमारी से ग्रसित रहना, मान-सम्मान का नाश होना, बुद्धि ठीक ढंग से काम न होना, शत्रु से परेशान रहना या फिर आर्थिक तंगी का सामना करना आदि ग्रह दोष के कारण हो सकता है। ज्योतिष के अनुसार, ग्रह जब अपनी चाल बदलते है तो कुंडली में शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष में नवग्रहों के दोष दूर करने के कई उपाय बताए गए हैं, जिन्हें करके व्यक्ति आसानी से अशुभ प्रभाव से राहत पा सकता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में मौजूद नौ ग्रह चंद्रमा सूर्य मंगल बुध गुरु राहु केतु शुक्र शनि का शुभ और अशुभ प्रभाव जातक के ऊपर पड़ता है। नवग्रह के दोषों से राहत पाने के अचूक उपाय।

नवग्रह के विभिन्न उपाय यह सर्वथा सत्य है कि यदि प्रामाणिक उपाय, टोने, टोटके, यंत्र, मंत्र, तंत्रादि का समुचित प्रयोग किया जाए तो मनुष्य के समक्ष कोई समस्या नहीं रह जाती। मानव जीवन सुखी हो ”

सर्वेभवंतु सुखिनः” के उद्देश्यों से मानव जीवन पर पड़ने वाले कुप्रभाव व्यवधानादि के निवारण हेतु प्रस्तुत उपाय ग्रहणीय हैं। ज्योतिष शास्त्र में यह प्रमाण मिलता है कि मानव जीवन में तीन प्रकार के ताप (दुःख) या सुख मनुष्य को प्रकृति के अनुरूप प्राप्त होते हैं।
(1) आधिदैविक
(2) आधिभौतिक
(3) आधिदैहिक,

प्रकृति के तीन स्वरूप
(1) कफ
(2) पित्त
(3) वात जनित रोग कष्टादि का सृजन करते हैं।
यदि ग्रहादि की अनुकूलता रहे, या ग्रहों के दुष्प्रभाव को शमन कर लिया जाए तो उपर्युक्त दैहिक, दैविक एवं भौतिक समस्याओं का समाधान हो जाया करता है। ज्योतिष शास्त्र सर्वप्रथम जन्मपत्रिका के ग्रहों, अवस्थाओं आदि से संबंधित उपाय प्रकाशित कर जातक का मार्ग निर्देशन करते हैं। सूर्यग्रह की अनुकूलता हेतु आराध्य देव- ‘विष्णु भगवान’ वैदिक उपाय : सूर्य के वैदिक मंत्र का सात हजार जप करना चाहिए। वैदिक मंत्र से सूर्य भगवान को प्रातः काल जल का अर्घ्य सिंदूर या लाल फूल डालकर देना चाहिए। वैदिक मंत्र : ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्न मृतं मर्त्त्यंन्च हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।
तांत्रिक मंत्र
1. ऊँ ह्रां हृीं हृौं सः सूर्याय नमः
2. ऊँ घृणि सूर्याय नमः (तांत्रिक उपाय) सूर्य के उपर्युक्त मंत्र का जप अठ्ठाईस हजार करना चाहिए।

ॐ सर्वबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन, भविष्यति न संशयः॥

ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च। गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु

You may also like

Copyright © 2025 Vedagya, All Rights Reserved