शनि ग्रह शांति के उपाय रत्न धारण

शनि शान्ति के लिए उपाय

शनि ग्रह किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब शनि 1, 2, 4, 5, 7, 8, 9, 10 अथवा : 12 वें स्थानों में हो, अथवा शत्रु या नीच (मेष) राशिगत हो अथवा सूर्य, मंगल आदि क्रूर ग्रहों से सुक्त या दृष्ट हो, तो शनि अशुभ फलदायक होता है। अशुभ एवं अरिष्टकर शनि धन एवं आय साधनों में कमी, शरीर कष्ट, मानसिक तनाव, बनते कामों में बार-बार अड़चनें पैदा होती हती है। शनि कृत अरिष्ट निवारण हेतु निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी एक मन्त्र का 13 हजार जप तथा जप उपरान्त दशांश संख्या में हवन करना शुभ एवं कल्याणकारी रहता है।

(जप संख्या 13000 )

तन्त्रोक्त शनि मन्त्र-

ॐ प्रां प्रीं प्रो सं शनये नमः

तन्त्रोक्त शनि का लघु मन्त्र –

ॐ शं शनैश्चराय नमः

 वेदोक्त शनि मन्त्र

ॐ शन्नो देवी रमिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शय्योरमिरखवन्तु नः ॥ 

एवं शनि गायत्री मन्त्र

ॐ सूर्यसुताय विद्महे यमरूपाय धीमहि तन्नः सौरिः प्रचोदयात्।। 

पुराणोक्त शनि मन्त्र

ॐ ह्रीं नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् छाया मार्तंड संभुतम तम नमामि शनिश्चरम

विधिपूर्वक मन्त्र जाप के अतिरिक्त शनि सम्बन्धी वस्तुओं का दान, सिक्के अथवा पंच धातु की अंगूठी में नीलम धारण करना, शनिवार का व्रत रखना, विधिवत् निर्मित शनि यन्त्र रखना, लोहे की कटोरी में तेल डालकर छाया पात्र करना, औषधि स्नान, अन्ध विद्यालय या कुष्ठाश्रम में अनाज (उड़द सहित) भोजन खिलाना, मछलियों को गेहूँ एवं उड़द के आटे की गोलियां | डालना, शिव स्तोत्र एवं शनि स्तोत्र का पाठ एवं शनि से सम्बन्धित वस्तुओं का दान करना शुभ एवं कल्याणकारी रहता है।

 शनि के दान योग्य वस्तुएँ 

उड़द, काले तिल, काले चने, सरसों का तेल, काली गाय, काला वस्त्र, लोहे का बर्तन, काले जूते, भैंस, कुलथी, कस्तूरी, नीलम, नारियल, काले एवं नीले पुष्प, ग़रीब वृद्ध व्यक्ति को भोजन कराना शुभ होता है। शनि का दान सायंकाल को करना प्रशस्त माना जाता है।

उपाय-

  • शनि शुभ होता हुआ भी शुभफल प्रकट न कर रहा हो तो निम्न उपाय शुभ होंगे- 
  • घर में नीले रंग के पर्दे तथा नीले रंग की चादरों का प्रयोग करना और स्वयं भी बहुधा हा नीले रंग के वस्त्रों का प्रयोग करना शुभ होगा। जब कुण्डली में शनि नीच या अरिष्टकर फल प्रकट कर रहा हो तो निम्न उपाय करें-
  • स्टील या लोहे की कटोरी में तेल का छाया-पात्र करके तेल पाँच शनिवार तक आक के पौधे पर अथवा ‘शनि मन्दिर’ में डालना शुभ होगा। 5वें शनिवार को तेल चढ़ाने के बाद | तेल वाली कटोरी को वही दबा देना या वही चढ़ा देना शुभ होगा। तेल चढ़ाते समय शनि का बीज मन्त्र पढ़ें।
  • अष्टम भाव में शनि अशुभ एवं रोगकारक हो, तो संकटनाशन श्री गणेशस्तोत्र का पाठ एवं श्री गणेश चतुर्थी का व्रत रखना चाहिये।

शनि रत्न नीलम (SAPHIRE)

नीलम शनिग्रह का मुख्य रत्न है। हिन्दी में नीलम तथा अंग्रेज़ी में सैफायर (Saphire) कहते हैं। पहचान असली नीलम चमकीला, चिकना, मोरपंख के समान वर्ण जैसा, नीली किरणों से युक्त | एवं पारदर्शी होगा।

पहचान

  • नीलम को गाय के दूध में डाल दिया जाए तो दूध का रंग नीला लगता है।
  • पानी से भरे कांच के गिलास में डाला जाए नीली किरणें दिखाई देंगी।
  • सूर्य की धूप में रखने से नीले रंग की किरणें दिखाई देंगी।

गुण-

नीलम धारण करने से धन-धान्य, यश-कीर्ति, बुद्धि चातुर्य, सर्विस एवं व्यवसाय तथा

वंश में वृद्धि होती है। स्वास्थ्य सुख का लाभ होता है।

ध्यान रहे, बहुधा नीलम चौबीस घण्टे के भीतर ही प्रभाव करना शुरू कर देता है। यदि नीलम अनुकूलन न बैठे तो भारी नुक्सान की आशंका हो जाती है। अतएव परीक्षा के तौर पर कम से कम 3 दिन तक पास रखने पर यदि बुरे स्वप्न आएं, रोग उत्पन्न हो या चेहरे की बनावट में अन्तर आ जाए तो नीलम नहीं पहनना चाहिए

रोग शान्ति-

नीलम धारण करने या औषधि रूप में ग्रहण करने से दमा, क्षय, कुष्ट रोग, हृदय रोग,

अजीर्ण, मूत्राशय सम्बन्धी रोगों में लाभकारी है।

धारण विधि-

नीलम 5 ,7 , 9, 12 अथवा अधिक रत्ति के वजन का, पंचधातु, लोहे अथवा सोनेकी अंगूठी में शनिवार को शनि की होरा में एवं पुष्य, उ.भा., चित्रा, स्वा, धनि या शतभिषा नक्षत्रों में शनि के बीज मन्त्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः मन्त्र से 13000 की संख्या में अभिमन्त्रित करके धारण करें। तत्पश्चात् शनि की वस्तुओं का दान दक्षिणा सहित करना कल्याणकारी होगा।

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