शुद्धि पूजा – shuddhi puja

क्या है शुद्वि पूजा

यदि घर में दिन-प्रतिदिन कलह बढ़ रहा हो। हर काम में बाधा आ रही हो। ऐसा प्रतीत हो रहा हो कि घर में देवताओं का वास नहीं है, तो निश्चय ही जानना चाहिए कि घर अशुद्ध है।  इन समस्याओं का निपटारा हो सकता है। घर मे शुद्वि पूजा कराकर

पूजा के नित्य, नैमित्तिक और काम्य ये तीन भेद माने जाते हैं ।

नित्य पूजा, शिव, गणेश, राम, कृष्ण आदि की जो पूजा प्रतिदिन की जाती है वह नित्य, पूजा

नैमित्तिक ,पूजा पुत्र जन्म आदि विशिष्ट अवसरों पर विशिष्ट कारणों से की जाती है वह नैमित्तिक

काम्य,और जो पूजा किसी अभीष्ट की सिद्धि के उद्देश्य से की जाती है वह काम्य कहलाती है ।

हमे सवेरे ब्रह्म मुहर्त में जग जाना चाहिए जाग कर नित्य कर्म से निर्वत हो कर स्नान आदि कर लेना चाहिए स्नान भी तीन प्रकार के होते हैं ब्रह्म मुहूर्त में किया हुआ स्नान देव स्नान कहलाता है सूर्य उदय से एक घड़ी पहले तक जो स्नान करते हैं वह मनुष्य स्नान कहलाता है और सूर्य उदय के बाद जो स्नान होता है राक्षस स्नान कहलाता है हमे ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर लेना चाहिए हमारे वेदों में सब के नियम है सोने जागने के भी नियम है शरीर शुद्वि के बाद अपने घर मे गंगाजल का छिड़काव करें दरवाजे पर शुद जल का छिड़काव करें फिर अपने इष्ट की पूजा करे आरती भोग लगाएं

प्रात: कर-दर्शनम्  

कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती।

करमूले तू गोविन्द: प्रभाते करदर्शनम्।।

भूमि पर चरण रखते समय जरूर स्मरण करें 

पृथ्वी क्षमा प्रार्थना

समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडिते।

विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमश्वमेव

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