सतचण्डी पूजा – Satchandi Pooja

Satchandi Pooja

सत चंडी कोन से देव या देवी है

सत का अर्थ है सौ,और शक्ति के प्रचण्ड रूप को चण्डी कहते हैं शक्ति के अनेक रूप है जिनमे माँ दुर्गा मुख्य है माँ दुर्गा के अनुष्ठान यज्ञ पूजा आदि को शत चण्डी पूजा कहा है यह एक विशिष्ट और अत्यंत शक्तिशाली अनुष्ठान है जो सप्तशती मंत्रों का आह्वान करता है । यह () पूजा एक दुर्लभ, अद्वितीय और विस्तृत अनुष्ठान है और इसे करने से देवी जगदंबा माँ दुर्गा को प्रसन्न किया जाता है और माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।देवी महात्म्य में चंडी, चंडिका, अंबिका और दुर्गा का समानार्थक रूप से प्रयोग किया गया है  जिसे चण्डी कहा जाता है

सावधानी

यह एक बेहद शक्तिशाली अनुष्ठान है इसमें साधक जान ले कि इस अनुष्ठान में कोई त्रुटि गलती ना रहे इस अनुष्ठान में पवित्रता सात्विकता एवं भकितमय होकर हमे श्रद्धा से इस यज्ञ को करना चाहिए

परिणाम

यह पाठ मनुष्य के जीवन में विशेष परिस्थिति में किया जाता है जैसे शत्रु पर विजय, मनोवांछित फल नौकरी की प्राप्ति, नौकरी में प्रमोशन, व्यापार में वृद्धि, परिवार में कलह क्लेश से मुक्ति एवं कर्जा मुक्ति आदि विभिन्न प्रकार की परेशानियों से मुक्ति आदि पाने के लिए कराया जाता है

Satchandi Pooja Vidhi – शत चण्डी पूजा

शतचण्डी का पाठ (Satchandi Pooja) बहुत ही योग्य और विद्वान ब्राह्राण के द्वारा ही किया जाता है. इस चंडी यज्ञ में 700 श्लोलों का पाठ किया जाता है. इससे मां दुर्गा की विशेष आराधना की जाती है .सबसे पहले सतत चंडी यज्ञ में उपयुक्त स्थान पर हवन कुंड का पंचभूत संस्कार किया जाता है. इसके लिए कुश के एक छोर से वेदी की सफाई की जाती है. गाय के गोबर से हवन कुंड का लेपन किया जाता है. फिर इसके बाद वेदी के बीच से बाएं से तीन खड़ी रेखाएं दक्षिण से उत्तर की ओर खींची जाती है. फिर अनामिका उंगली से कुछ मिट्टी को हवन कुंड से बाहर फेंकते हुए दाहिने हाथ से शुद्ध जल से वेदी को छिड़कें. इस तरह से वेदी की पंचभूत संस्कार से अग्नि प्रज्जवलित कर अग्रिदेव का पूजन करें. फिर इसके बाद भगवान गणेश समेत सभी ईष्ट देवताओं की पूजा करते हुए दूर्गा माँ की पूजा आरंभ करें.

यह यज्ञ चार दिनों में सम्पन होता है जिसमें कलश, गौरी, गणेश, षोडश मातृका, सप्तघृत मातृका, सर्वतोभद्र मण्डल, नवग्रह, क्षेत्रपाल आदि की स्थापना और पूजा के उपरांत दुर्गा सप्तशती के 100 पाठ किये जाते हैं और अंत में हवन एवं भंडारा किया जाता है। 

पूजन सामग्री की सूची- Satchandi Pooja Samagri

  • रोली 10 ग्राम
  • पीला सिंदूर 10 ग्राम
  • पीला अष्टगंध चंदन 10 ग्राम
  • लाल चन्दन 10 ग्राम
  • सफ़ेद चन्दन 10 ग्राम
  • लाल सिंदूर 10 ग्राम
  • हल्दी (पिसी) 50 ग्राम
  • हल्दी (समूची) 50 ग्राम
  • दारू हल्दी 50 ग्राम
  • आंबा हल्दी 50 ग्राम
  • सुपाड़ी (समूची बड़ी) 100 ग्राम
  • लौंग 10 ग्राम
  • इलायची 10 ग्राम
  • सर्वौषधि 1 डिब्बी
  • सप्तमृत्तिका 1 डिब्बी
  • सप्तधान्य 100 ग्राम
  • सरसों (पीली/काली) 50-50 ग्राम
  • जनेऊ 21 पीस
  • इत्र बड़ी 1 शीशी
  • गरी का गोला (सूखा)11 पीस
  • पानी वाला नारियल 1 पीस
  • सूखा नारियल 2 पीस
  • अक्षत (चावल) 11 किलो
  • धूपबत्ती 2 पैकेट
  • रुई की बत्ती (गोल / लंबी) 1-1 पैकेट
  • देशी घी 1 किलो
  • सरसों का तेल 1 किलो
  • कपूर 50 ग्राम
  • कलावा 7 पीस
  • चुनरी (लाल / पीली)1/1 पीस
  • बताशा 500 ग्राम
  • मिश्री 100 ग्राम
  • लाल रंग 5 ग्राम
  • पीला रंग 5 ग्राम
  • काला रंग 5 ग्राम
  • नारंगी रंग 5 ग्राम
  • हरा रंग 5 ग्राम
  • बैंगनी रंग 5 ग्राम
  • अबीर गुलाल (लाल, पीला, हरा, गुलाबी) अलग-अलग
  • 10-10 ग्राम
  • बुक्का (अभ्रक) 10 ग्राम
  • गंगाजल 1 शीशी
  • गुलाबजल 1 शीशी
  • लाल वस्त्र 5 मीटर
  • पीला वस्त्र 5 मीटर
  • सफेद वस्त्र 5 मीटर
  • हरा वस्त्र 2 मीटर
  • काला वस्त्र 2 मीटर
  • नीला वस्त्र 2 मीटर
  • बंदनवार (शुभ, लाभ) 2 पीस
  • स्वास्तिक (स्टीकर वाला)5 पीस
  • धागा (सफ़ेद, लाल, काला) त्रिसूक्ति के लिए1-1 पीस
  • झंडा दुर्गा जी का 1 पीस
  • चांदी का सिक्का 2 पीस
  • कुश (पवित्री) 4 पीस
  • लकड़ी की चौकी 7 पीस
  • पाटा 8 पीस
  • रुद्राक्ष की माला 1 पीस
  • कमलगट्टे की माला1 पीस
  • दोना (छोटा – बड़ा)1-1 गड्डी
  • मिट्टी का कलश (बड़ा)11 पीस
  • मिट्टी का प्याला 21 पीस
  • मिट्टी का प्याला (जौ बोने के लिए)1 पीस
  • मिट्टी की दिपक 21 पीस
  • ब्रह्मपूर्ण पात्र (अनाज से भरा पात्र आचार्य को देने हेतु)
  • 1 पीस हवन कुण्ड
  • 1 पीस माचिस
  • आम की लकड़ी 5 किलो
  • नवग्रह समिधा1 पैकेट
  • हवन सामग्री 2 किलो
  • तिल (काला/सफ़ेद)500-500 ग्राम
  • जौ500 ग्राम
  • गुड़ 500 ग्राम
  • कमलगट्टा 100 ग्राम
  • गुग्गुल100 ग्राम
  • धूप लकड़ी100 ग्राम
  • सुगंध बाला50 ग्राम
  • सुगंध कोकिला50 ग्राम
  • नागरमोथा50 ग्राम
  • जटामांसी 50 ग्राम
  • अगर-तगर100 ग्राम
  • इंद्र जौ50 ग्राम
  • बेलगुदा100 ग्राम
  • सतावर50 ग्राम
  • गुर्च 50 ग्राम
  • जावित्री 25 ग्राम
  • जायफल1 पीस
  • भोजपत्र1 पैकेट
  • कस्तूरी1 डिब्बी
  • केसर 1 डिब्बी
  • खैर की लकड़ी 4 पीस
  • काला उड़द 250 ग्राम
  • मूंग दाल का पापड़ 1 पैकेट
  • शहद 100 ग्राम
  • पंचमेवा 200 ग्राम
  • चिरौंजी 25 ग्राम
  • पंचरत्न व पंचधातु 1 डिब्बी
  • त्रिशूल एवं चक्र 1-1 पीस
  • मोती1 पीस
  • शंख एवं धनुष 1-1 पीस
  • गोरोचन1 डिब्बी
  • गेरू 50 ग्राम
  • काली मिर्च 50 ग्राम
  • दुर्गा सप्तशती की पुस्तक 1 पीस
  • धोती (पीली/लाल) 1 पीस
  • अगोंछा (पीला/लाल) 1 पीस

सुहाग सामग्री

साड़ी, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, काजल, आलता, नाक की कील, पायल, इत्यादि।
काली मटकी (नजर वाली हाँड़ी)
1 चाँदी की गाय बछड़ा समेत
कुशा बण्डल पूर्णपात्र में (स्थापित हेतु)

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